आज जाने क्यो
फिर वो
बेगुनाह सि लगती हैं
दिले -आराम कि
वही राह
पुरानी सी लगती हैं
फलक
बेवजह का गुस्सा भी
गजब था उसका ,
आज
इतनी वजहो पे भी
खामोश सि लगती हैं
मेरा गुनाह
तो ये था कि
मुझे उससे मुहब्बत हुइ,
मुझे जाने क्यो
आज वो फिर
बेगुनाह सि लगती हैं
....