रविवार, 18 नवंबर 2018

मुक्कमल

क्या करूं ,

तेरी मेहरबानियां का

जिक्र

नहीं होता मुझसे ,

मैं

इतना भी तो

मुकम्मल नहीं हूं

बुधवार, 29 अगस्त 2018

आजकल

फल

दिल-ऐ-शकुन कि

कुछ और हि  तदबीर कर ,

तेरे अपने तो

सब आजकल

सियासत में मशगुल हैं...!

मंगलवार, 28 अगस्त 2018

हदे-एतबार

संगे-दिल
हदे-एतबार भी अजीब हैं ना

ये हर बार
तुम पे यकीन कर हि लेता  है ना

तुझ से रुठने कि वजह तो
बहुत ढुंडी थी मैने

तू हर बार
बिना लफ्जो के
मना हि लेता है ना

ना तेरा दिल तब,
ना अब पसीजता है मेरे लिए

पर ये मेरा दिल
हर बार मुझे समझा हि लेता है ना

अ फ़लक कोन कहता है
पागलपन बुरा है

यही तो है जो उसकी
हर खता भूला देता है ना
...! 75-

मंगलवार, 2 जनवरी 2018

जवाब

हर बात का तो

जवाब नहीं होता हैं

कुछ बाते

लाजवाब होती हैं जनाब