अ फलक
मैरे कुछ अपनो के
मुझ पे अहसान है
इस कदर कि ,
मेरी तो
खाक को भी
ये हिदायत है कि
उनके लीबाज से
ना लिपटे ......!
चंद पत्ते
टूटे तो सोचा
फिज़ा छा गई
अब
बगिया वीरान हैं
तो सोचते हैं
पतझड़ अभी बाकी हैं ....