अपने ही अक्स कि तरहां,
आज गिरे हैं उन्हीं की
नजरों से अश्क की तरहां !
नजरों से गिरे हुए अश्क की
कीमत ही क्या है,
ये हम कभी ना समझ सके
दीवानों की तरहां !
सावन हर बार आता था
सबके पास मगर ,
मैं तड़पता रहा
सूखे रेगिस्तानो की तरहां !
मेरे यार अब उस से
क्या शिकवा शिकायत करनी,
वो तो हमें अब देखने लगे हैं
अनजानो की तरहां !
'फलक ' देख गिर गया मैं
उसकी नजर में तमाम ,
आलम भुला दिया
जिसके लिए परवानों की तरहां !