सोमवार, 28 अगस्त 2017

आरजू

जिंदगी

आरजुओं में 

बहकती गई  !

और आरजू 

पल-पल घुटती गई  !

आरजू 

मोहब्बत की हो 

या दौलत की ,

कमबख्त 

बहुत तड़पाती है  !

हमें भरम था 

कि संभाल लेंगे सब ,

और 

जिंदगी की रेत की मानिंद

फिसलती हि गई  !

समेट रहे थे 

हम तो

मोहब्बत के फसाने ,

और

उधर जिंदगी 

पल पल बिखरती गई ...।

.

शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

जिक्र ना करना


तन्हा हूं 

पर ऐ दिल 

मेरी तनहाइयों का 

जिक्र न करना

परेशां भी हूं

पर मेरी

परेशानियों का भी 

जिक्र ना करना ,

मैं हारा हूं 

तो अपनों की ही जीत के लिए

फलक
मेरे तरकश के तीरों का

जिक्र ना करना ,

उसे शौक सितम का है 

तो बेशक करने दे 

तू उससे कभी 

मेरे जख्मों का 

जिक्र ना करना ,

यह जो हंसने का हुनर है 

ये सीखा है उसी से

तू मेरी हंसी में 

छुपे दर्द का 

जिक्र ना करना ,

किसी दिन
उसी का बयान था 

कि वो संगीन ए जिगर है 

तो संगीनों से 

उम्मीद ए वफ़ा का

ज़िक्र क्योंकर करना ...।

शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

साफगोसी

रिस्ते

अक्सर टूट जाते हैं

साफगोसी से,

फिर भी

कम्बक्त "फलक"

से, 

कहना नहीं छुटता  !

जिक्र चला जब भी

मेरी बरबादीयों का,

ना जाने क्यूं

लोगों कि जुबां 

से, 

तेरा हि नाम 

नहीं छुटता...!


गुरुवार, 10 अगस्त 2017

अहसास

कभी कभी

तकलीफे

इस कदर बढ़ जाती हैं

कि दर्द का

अहसास हि

खत्म

हो जाता हैं