शुक्रवार, 11 अगस्त 2017

साफगोसी

रिस्ते

अक्सर टूट जाते हैं

साफगोसी से,

फिर भी

कम्बक्त "फलक"

से, 

कहना नहीं छुटता  !

जिक्र चला जब भी

मेरी बरबादीयों का,

ना जाने क्यूं

लोगों कि जुबां 

से, 

तेरा हि नाम 

नहीं छुटता...!


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