रिस्ते
अक्सर टूट जाते हैं
साफगोसी से,
फिर भी
कम्बक्त "फलक"
से,
कहना नहीं छुटता !
जिक्र चला जब भी
मेरी बरबादीयों का,
ना जाने क्यूं
लोगों कि जुबां
तेरा हि नाम
नहीं छुटता...!
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