शुक्रवार, 25 अगस्त 2017

जिक्र ना करना


तन्हा हूं 

पर ऐ दिल 

मेरी तनहाइयों का 

जिक्र न करना

परेशां भी हूं

पर मेरी

परेशानियों का भी 

जिक्र ना करना ,

मैं हारा हूं 

तो अपनों की ही जीत के लिए

फलक
मेरे तरकश के तीरों का

जिक्र ना करना ,

उसे शौक सितम का है 

तो बेशक करने दे 

तू उससे कभी 

मेरे जख्मों का 

जिक्र ना करना ,

यह जो हंसने का हुनर है 

ये सीखा है उसी से

तू मेरी हंसी में 

छुपे दर्द का 

जिक्र ना करना ,

किसी दिन
उसी का बयान था 

कि वो संगीन ए जिगर है 

तो संगीनों से 

उम्मीद ए वफ़ा का

ज़िक्र क्योंकर करना ...।

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