जिन्दगी
रविवार, 18 नवंबर 2018
मुक्कमल
क्या करूं ,
तेरी मेहरबानियां का
जिक्र
नहीं होता मुझसे ,
मैं
इतना भी
तो
मुकम्मल
नहीं हूं
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