मंगलवार, 28 अगस्त 2018

हदे-एतबार

संगे-दिल
हदे-एतबार भी अजीब हैं ना

ये हर बार
तुम पे यकीन कर हि लेता  है ना

तुझ से रुठने कि वजह तो
बहुत ढुंडी थी मैने

तू हर बार
बिना लफ्जो के
मना हि लेता है ना

ना तेरा दिल तब,
ना अब पसीजता है मेरे लिए

पर ये मेरा दिल
हर बार मुझे समझा हि लेता है ना

अ फ़लक कोन कहता है
पागलपन बुरा है

यही तो है जो उसकी
हर खता भूला देता है ना
...! 75-

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