बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

तेरे हि जैसा हूँ

वो अक्सर कहता हैं
मुझ से ,
मैं तेरे हि जैसा हूँ  !

तु धुंधलका हैं
शांम का ,
मैं भोर का उजाला हूँ ,
वो अक्सर कहता हैं
मुझ से ,
मैं तेरे हि जैसा हूँ !

तु रात का काला
सन्नाटा ,
मैं दिवस का जलसा हूँ ,
वो अक्सर कहता हैं
मुझसे ,
मैं तेरे हि जैसा हूँ !

तु पाने को प्रेम
आतुर हैं ,
मैं उसी प्रेम में
मर्यादित हूँ ,
वो अक्सर कहता हैं
मुझ से ,
मैं तेरे हि जैसा हूँ

वो अक्सर कहता हैं
मुझ से ...!!

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