शुक्रवार, 7 अप्रैल 2017

अ जिंदगी

कभी आईने सी

कटती जिंदगी

तो कभी अफसोस से

रूबरू होती जिंदगी,

कभी ख्यालों में खलल

तो कभी ख्यालों सी

मचलती जिंदगी,

कभी अपनों से 

दामन छुडाती सी

लगती है

तो कभी गैरों से

लिपटती सी जिंदगी,

कभी कायनात की 

धरोहर से लगती है

तो कभी कोडियो से भी

सस्ती सी ये जिंदगी,

कभी जज्बातों से खेलती  सी

तो कभी अरमानों को

रौंदती सी जिंदगी,

आखिर तू ही बता 

कि तू क्या है अ जिंदगी,

मैं तो बस

इतना जानता हूं

की मुझ बिन तू

और

तुझ बिन मैं

मुकम्मल नहीं है

जिंदगी...

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